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माता दुर्गा जी की आरती |
🌺 माता दुर्गा जी की आरती 🌺
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
चन्द्र समान मुख चन्द्रा, चंचल मृगनयनी।
कनक समान कांति, अम्बे करती लज्जावनी।।
ॐ जय अम्बे गौरी…
देवी जाग्रत होती, तुमको दरस दिखाती।
हसकर बोलो माता, भक्तों के संकट काटी।।
ॐ जय अम्बे गौरी…
जय जय जय जगदम्बे माता, सब सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।।
ॐ जय अम्बे गौरी…
📜 दुर्गा चालीसा 📜
॥ दोहा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
॥ चौपाई ॥
शशि ललाट मुख महा विशाल।
नेत्र लाल भृकुटि विकराल।।
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे।।
तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना।।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुमहि आदि सुन्दरी बाला।।
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।।
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सब्ज्ञान ऋषि मुनि सारा।।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा।।
रूप कराल काली का धारा।
असुर संघार करासि निपारा।।
देवी रूप कराल जब धारा।
दानव दल संहार निपारा।।
भूलि रहो जब जगत सभी, तब तुम दिखलायो रूप अभी।।
जग को जीवन दान दिया, संकट हरि सुख मान दिया।।
॥ दोहा ॥
जो कोई पाठ करे मन लाई।
ताहि सुख संपत्ति होई भाई।।
जो यह पढ़े दुर्गा चालीसा।
होए सिद्धि साखी गौरीसा।।
Thiku
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