नवरात्रि का छठा दिन: माँ कात्यायनी
(Navratri Day 6: Maa Katyayani)
नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा होती है। कात्यायनी माँ का स्वरूप बेहद दिव्य और शक्तिशाली है। उन्हें 'महिषासुर मर्दिनी' भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर जैसे राक्षस का वध कर देवताओं को विजय दिलाई। नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा होती है। माँ कात्यायनी शक्ति और साहस की प्रतीक हैं और उनकी पूजा से भक्तों को समस्त भय और कष्टों से मुक्ति मिलती है। छठे दिन की पूजा विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में सुख और संतोष की प्राप्ति के लिए की जाती है।
####1. माँ कात्यायनी का परिचय (Introduction to Maa Katyayani)
माँ कात्यायनी को देवी पार्वती का उग्र और योद्धा रूप माना जाता है। यह रूप तब प्रकट हुआ जब ऋषि कात्यायन ने उनकी तपस्या की और उनसे संसार को महिषासुर जैसे राक्षसों से मुक्त कराने की प्रार्थना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने कात्यायन ऋषि के घर जन्म लिया और महिषासुर का अंत किया। इसी कारण उनका नाम 'कात्यायनी' पड़ा।
माँ कात्यायनी का रूप तेजस्वी है। वह चार भुजाओं वाली हैं और सिंह की सवारी करती हैं। उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है। शेष दो हाथों से वह आशीर्वाद मुद्रा में भक्तों की रक्षा करती हैं। उनकी उपस्थिति उग्र होते हुए भी ममता और प्रेम से परिपूर्ण है।
#### 2. माँ कात्यायनी की पूजा विधि (Puja Vidhi of Maa Katyayani)
माँ कात्यायनी की पूजा करने के लिए भक्तों को विशेष विधि का पालन करना चाहिए। यह पूजा शुद्धता, प्रेम और समर्पण के साथ की जाती है। नीचे माँ कात्यायनी की पूजा विधि दी जा रही है:
- **स्थान की शुद्धि**: सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध जल से स्वच्छ करें और उस पर माँ कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- **दीप प्रज्वलन**: देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएँ। माँ कात्यायनी को लाल रंग विशेष प्रिय है, इसलिए लाल वस्त्र पहनें और उन्हें लाल फूल अर्पित करें।
- **तिलक और आभूषण**: माँ को कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएँ। इसके साथ ही माँ को विभिन्न आभूषण अर्पित करें, जो उनकी उग्र और वीरता को दर्शाते हैं।
- **धूप और दीप जलाएँ**: माँ को धूप और दीप दिखाएँ और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
- **नैवेद्य अर्पण**: माँ कात्यायनी को शहद और फल का भोग लगाएँ, यह माँ को प्रिय हैं।
- **आरती**: माँ की आरती गाएँ और उन्हें अपनी श्रद्धा और प्रेम अर्पित करें। इस दिन विशेष रूप से 'कात्यायनी माता की आरती' का पाठ किया जाता है।
#### 3. मंत्र और स्तोत्र (Mantras and Stotras)
माँ कात्यायनी की पूजा में मंत्रों का विशेष महत्व होता है। पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का उच्चारण करना अत्यधिक फलदायी होता है:
- **ध्यान मंत्र**:
_"चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥"_
- **पूजन मंत्र**:
_"ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।"_
इस मंत्र का 108 बार जप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- **अर्गला स्तोत्र**:
_"जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥"_
यह स्तोत्र माँ की स्तुति करता है और पूजा के दौरान इसे पढ़ने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।
#### 4. माँ कात्यायनी का महत्व (Significance of Maa Katyayani)
माँ कात्यायनी वैवाहिक सुख, साहस और समृद्धि की देवी हैं। उनकी पूजा करने से अविवाहित युवतियों को योग्य वर प्राप्त होता है। विवाह में समस्याओं का सामना कर रहे दंपति भी माँ कात्यायनी की पूजा करके अपने दांपत्य जीवन को सुखमय बना सकते हैं। इसके अलावा, माँ कात्यायनी की पूजा से भय, रोग, और शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
माँ कात्यायनी की पूजा भक्तों को अद्वितीय साहस और शक्ति प्रदान करती है, जिससे वे जीवन के कठिनाइयों का सामना साहस के साथ कर सकें। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और शांति की प्राप्ति करता है।
#### 5. माँ कात्यायनी से जुड़े पौराणिक संदर्भ (Mythological References of Maa Katyayani)
पौराणिक कथाओं में माँ कात्यायनी का उल्लेख महिषासुर के वध के संदर्भ में किया गया है। जब महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, तो देवताओं ने माँ दुर्गा से सहायता की प्रार्थना की। माँ दुर्गा ने कात्यायनी के रूप में प्रकट होकर महिषासुर का संहार किया और देवताओं को पुनः स्वर्ग का अधिकार दिलाया। इसलिए माँ कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है।
#### 6. व्रत और उपवास का महत्व (Importance of Fasting on the Sixth Day)
नवरात्रि के छठे दिन उपवास रखना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को माँ कात्यायनी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उपवास के दौरान केवल फलाहार और जल ग्रहण करने की परंपरा है। यह उपवास विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए फलदायी माना जाता है, जो विवाह की इच्छा रखती हैं या अपने वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की कामना करती हैं।
व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखता है और अपने मन को शुद्ध करता है। इस शुद्धता और समर्पण के साथ माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की शक्ति, साहस और करुणा का उत्सव है। उनकी पूजा से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि सांसारिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।
मां कात्यायनी की आरती
जय मां कात्यायनी,
जय मां कात्यायनी।
सुरूज चंद्रमा के,
ज्योति समान।
जय मां कात्यायनी,
जय मां कात्यायनी।
**कात्यायनी महादेव
की, भवानी धारण की।**
**ऋषि कात्यायन की,
कृपा से प्रकट हुई।**
**जय मां कात्यायनी,
जय मां कात्यायनी।**
**सर्व शक्ति
दायिनी, हर कष्ट मिटाने
वाली।**
**जो भी तुझको भजता,
उसका तू सहारा।**
**जय मां कात्यायनी,
जय मां कात्यायनी।**
**तेरे चरणों की
धूल, सभी सुख लाने
वाली।**
**जो भी ध्यावे
तुझे, उसकी मुरादें
पूरी।**
**जय मां कात्यायनी,
जय मां कात्यायनी।**
**ज्ञान की देवी,
शक्तियों की अधिष्ठात्री।**
**तुमसे ही होती है,
हर संकट की न्यारी।**
**जय मां कात्यायनी,
जय मां कात्यायनी।**
नोट :- आप इस आरती का पाठ करते समय ध्यान और भक्ति से जुड़ें।
## संक्षिप्त जानकारी:
मां कात्यायनी दुर्गा की
नौ शक्तियों में से एक हैं। उनका पूजन विशेष रूप से नवरात्रि के समय किया जाता है।
उनका अनुग्रह प्राप्त करने से भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं।