नवरात्रि पूजन

 नवरात्रि पूजन



नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है 'नौ रातें', और यह पर्व शक्ति की देवी को समर्पित होता है। हर दिन मां दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि पूजन विधि में मां दुर्गा की नौ दिनों तक विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। यह विधि विशेष महत्व रखती है, क्योंकि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से व्यक्ति को शक्ति, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। यहां नवरात्रि पूजन की सम्पूर्ण विधि दी जा रही है:

नवरात्रि पूजन की सामग्री:

1. मूर्ति या चित्र: मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र। (https://amzn.to/3BsqFRE) आप दी गई लिंक से ले सकते है 

2. कलश स्थापना सामग्री: मिट्टी का पात्र, जौ, नारियल, आम के पत्ते, लाल कपड़ा।

3. धूप (https://amzn.to/480GWcI) , दीप, कपूर (https://amzn.to/3Na1HJc) , अगरबत्ती (https://amzn.to/4dEcXIt)  आप दी गई लिंक से ले सकते है 

4. पुष्प (फूल)

5. सिन्दूर, कुमकुम, चंदन, अक्षत (चावल)

6. फल-फूल, मिठाई, नारियल

7. पानी का लोटा, पंचामृत

8. पूजन थाली और दीपक


नवरात्रि पूजन विधि:


1. स्नान और स्वच्छता:

   - पूजा के लिए प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

   - पूजा स्थल को साफ करें और वहां गंगाजल का छिड़काव करें।


2. कलश स्थापना:

   - सबसे पहले, मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। यह जौ सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है।

   - कलश में जल भरें और उसमें सुपारी, दूर्वा (घास), सिक्का डालें।

   - कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखें और नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।

   - यह कलश देवी मां का प्रतीक होता है, इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।


3. घंटा बजाएं:

   - पूजा आरंभ करते समय घंटा बजाकर मां का आवाहन करें।

  

4. मां दुर्गा का आवाहन (आमंत्रण):

   - मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर ध्यान करें और मां को आमंत्रित करें:

     "ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः" का जाप करते हुए मां का ध्यान करें।

   

5. मां को स्नान कराएं:

   - पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से मां की मूर्ति का अभिषेक करें। इसके बाद साफ जल से स्नान कराएं।


6.मां को वस्त्र और आभूषण चढ़ाएं:

   - मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र पर लाल रंग का वस्त्र चढ़ाएं।

   - मां को आभूषण या फूलों की माला अर्पित करें।


7. सिन्दूर, अक्षत और चंदन चढ़ाएं:

   - मां को सिन्दूर, अक्षत (चावल) और चंदन अर्पित करें।


8. धूप-दीप जलाएं:

   - धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। मां को कपूर से आरती करें।


9. नैवेद्य (भोग) अर्पण:

   - मां दुर्गा को फल, मिठाई, और नारियल अर्पित करें।

   - हर दिन मां को विशेष भोग चढ़ाएं। जैसे - पहले दिन मां को घी से बनी मिठाई, दूसरे दिन शक्कर का भोग, तीसरे दिन दूध का भोग इत्यादि।


10. मंत्र जाप और दुर्गा सप्तशती का पाठ:

   - नवरात्रि के दौरान हर दिन "दुर्गा सप्तशती" का पाठ करें। इसके अलावा, मां दुर्गा के बीज मंत्र:

     "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" का जाप करें।

   

11. आरती करें:

   - पूजा के अंत में मां दुर्गा की आरती करें। आरती करते समय घंटी और शंख बजाएं।


12. प्रसाद वितरण:

   - मां को अर्पित भोग और प्रसाद को परिवारजनों में बांटें।

   - नौ दिनों तक व्रत रखने वाले व्यक्ति केवल फलाहार करें।


कन्या पूजन (अष्टमी/नवमी को):

   - नवरात्रि के अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

   - नौ कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें माता दुर्गा का रूप मानते हुए ससम्मान भोजन अर्पित करें।

   - कन्याओं को उपहार और दक्षिणा दें।


नवरात्रि के विशेष नियम:

1. **व्रत का पालन:** नवरात्रि के दौरान उपवास या व्रत रखें। फलाहार करें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।

2. **सात्विक जीवनशैली:** व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और संयमित जीवन जिएं।

3. **नौ दिनों तक अखंड दीप जलाएं:** पूरे नौ दिनों तक अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व होता है। 


इस तरह, पूरे विधिपूर्वक नवरात्रि पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यहां नवरात्रि के हर दिन की पूजा विधिदेवी के रूपमंत्रऔर नियमों की जानकारी दी जा रही है।

पहला दिन: शैलपुत्री की पूजा





  • देवी का रूप: मां दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री है। यह पर्वत राज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं।
  • पूजा विधि: सुबह स्नान कर के साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। कलश स्थापना करें और मां शैलपुत्री का आह्वान करें। मां को सफेद वस्त्र अर्पित करें।
  • मंत्र:
    "
    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"

दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी की पूजा



  • देवी का रूप: मां ब्रह्मचारिणी तप की देवी मानी जाती हैं। इस दिन साधक को संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • पूजा विधि: मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत, कुमकुम, फूल और फल अर्पित करें। सफेद वस्त्र धारण करें और ध्यान करें।
  • मंत्र:
    "
    दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
    देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥"

तीसरा दिन: चंद्रघंटा की पूजा



  • देवी का रूप: मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध की देवी का है, और इनके माथे पर चंद्रमा है। इनकी पूजा से भय और रोग का नाश होता है।
  • पूजा विधि: लाल फूल और लाल वस्त्र अर्पित करें। मां चंद्रघंटा को मिठाई का भोग लगाएं।
  • मंत्र:
    "
    पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
    प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघंटेति विश्रुता॥"

चौथा दिन: कूष्माण्डा की पूजा



  • देवी का रूप: मां कूष्माण्डा को सृष्टि की रचनाकार माना जाता है। इन्हें अष्टभुजा वाली देवी भी कहा जाता है।
  • पूजा विधि: कुमकुम, सिंदूर और हरे रंग के वस्त्र अर्पित करें। मां कूष्माण्डा को हलवा या मालपुए का भोग लगाएं।
  • मंत्र:
    "
    सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
    दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥"

पाँचवा दिन: स्कंदमाता की पूजा



  • देवी का रूप: मां स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं। इस दिन साधक को अपनी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए।
  • पूजा विधि: सफेद फूल और प्रसाद अर्पित करें। मां को केले का भोग लगाएं।
  • मंत्र:
    "
    सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥"

छठा दिन: कात्यायनी की पूजा



  • देवी का रूप: मां कात्यायनी युद्ध की देवी मानी जाती हैं, और उनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  • पूजा विधि: गुलाबी या लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें और मां को शहद का भोग लगाएं।
  • मंत्र:
    "
    चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
    कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी॥"

सातवां दिन: कालरात्रि की पूजा



  • देवी का रूप: मां कालरात्रि का रूप अति भयानक है, लेकिन वे भक्तों के लिए अत्यंत शुभकारी हैं।
  • पूजा विधि: गुड़ या मिठाई का भोग लगाएं और नीले या काले वस्त्र धारण करें।
  • मंत्र:
    "
    एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
    लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥"

आठवां दिन: महागौरी की पूजा



  • देवी का रूप: मां महागौरी अत्यंत सुंदर और उज्जवल रूप वाली देवी हैं। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
  • पूजा विधि: सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करें। मां महागौरी को नारियल और हलवा का भोग लगाएं।
  • मंत्र:
    "
    श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
    महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥"

नवां दिन: सिद्धिदात्री की पूजा



  • देवी का रूप: मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।
  • पूजा विधि: लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें और मां को तुलसी या कमल के फूल अर्पित करें।
  • मंत्र:
    "
    सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
    सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

नवरात्रि पूजन के विशेष नियम:

  1. व्रत और उपवास: नवरात्रि में उपवास रखने वाले व्यक्ति को सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। अन्न ग्रहण न करें और केवल फलाहार या दूध आदि का सेवन करें।
  2. स्नान और स्वच्छता: प्रतिदिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. पूजा स्थल की स्वच्छता: पूजा स्थल की सफाई और नियमित रूप से धूप-दीप जलाने का विधान है।
  4. कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन का आयोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस तरह, नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा विधि का पालन कर के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

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 पाँचवाँ दिन: देवी स्कंदमाता की पूजा

National festival

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