**छठ पूजा: श्रद्धा, आस्था और प्रकृति का अनोखा पर्व**
छठ पूजा हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलने वाला एक अत्यंत पवित्र और कठिन व्रत होता है, जिसमें व्रती (व्रत करने वाले व्यक्ति) बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं। छठ पूजा का उद्देश्य भगवान सूर्य और छठी मैया की आराधना करना है। इसे सूर्य षष्ठी व्रत भी कहा जाता है, क्योंकि इस व्रत में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है, जो ऊर्जा और जीवन के स्रोत माने जाते हैं।
### छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महत्व अत्यंत गहरा है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। भगवान सूर्य हमारे जीवन का आधार हैं। उनकी ऊर्जा से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। छठ पूजा में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जो प्रकृति और जीवन के चक्र का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में संतुलन और सादगी का महत्व है।
छठ पूजा में छठी मैया की आराधना भी की जाती है, जिन्हें संतान सुख और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि छठ मैया की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महिलाएं विशेषकर इस व्रत को संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए करती हैं।
### छठ पूजा की पौराणिक कथा
छठ पूजा की कई पौराणिक कथाएं हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, महाभारत में कुंती ने भगवान सूर्य से वरदान प्राप्त किया था, जिससे उन्हें कर्ण जैसे पराक्रमी पुत्र की प्राप्ति हुई। दूसरी ओर, कहा जाता है कि राम और सीता जब अयोध्या लौटे थे, तब सीता ने छठ पूजा का व्रत किया था ताकि उनका परिवार सुखी और समृद्ध रहे। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि इस व्रत की शुरुआत सूर्य देव की बहन छठी मैया ने की थी। छठ पूजा में सूर्य और उनकी बहन छठी मैया की उपासना का विशेष महत्व है।
### छठ पूजा की तैयारी
छठ पूजा की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है। घरों की साफ-सफाई की जाती है, और भक्त अपने मन, वचन और कर्म से पवित्र रहते हैं। व्रत करने वाले लोग विशेषकर साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं, और पूजा की सामग्री को पूरी तरह से शुद्ध रखा जाता है। यह एकमात्र ऐसा व्रत है जिसमें सभी पूजा सामग्री शुद्धता और पवित्रता के साथ तैयार की जाती है।
### छठ पूजा का चार दिवसीय कार्यक्रम
1. **नहाय-खाय:** पहले दिन को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इस भोजन में खासकर कद्दू-भात का सेवन किया जाता है, जो पूरी तरह शुद्ध और सात्विक होता है।
2. **खरना:** दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़ से बनी खीर, चावल की रोटी और फल का सेवन करते हैं। इस प्रसाद को व्रती खुद बनाते हैं और केवल एक बार खाते हैं।
3. **संध्या अर्घ्य:** तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का दिन होता है। इस दिन व्रती नदी, तालाब या घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस समय व्रती और उनके परिवार के लोग पूजा के लिए एकत्र होते हैं और गीत गाते हैं।
4. **प्रातः अर्घ्य:** चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस अर्घ्य के बाद ही व्रत समाप्त होता है। इस दिन व्रती जल, दूध, फल और प्रसाद अर्पण करते हैं और अपने परिवार व समाज के कल्याण की कामना करते हैं।
### छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री
छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री विशिष्ट होती है, जिसमें बांस की टोकरी, सूप, गन्ना, नारियल, ठेकुआ, केले, सिंघाड़ा, हल्दी, अदरक, नींबू और विभिन्न प्रकार के फलों का उपयोग होता है। यह सभी सामग्री पूजा के दौरान सूर्य देव को अर्पित की जाती है।
### वैज्ञानिक दृष्टिकोण से छठ पूजा
छठ पूजा में विज्ञान का भी गहरा संबंध है। सूर्य की आराधना करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोबल बढ़ता है। उगते और डूबते सूर्य की किरणों में कई तरह के विटामिन होते हैं, जो हमारी त्वचा और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। इसके अलावा, व्रत रखने से शरीर में विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और यह हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
### छठ पूजा के गीत
छठ पूजा के गीत भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन गीतों में लोक संस्कृति, परंपराएं और धार्मिक भावनाओं का समावेश होता है। इन गीतों में सूर्य देवता की महिमा, छठी मैया की कृपा और व्रत की कठिनाइयों का वर्णन किया जाता है। “काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकत जाय” जैसे गीत छठ पूजा के माहौल को और भी पवित्र बना देते हैं।
### छठ पूजा का समापन
छठ पूजा का समापन प्रातः अर्घ्य के बाद होता है। इसके बाद व्रती अपने घर लौटते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं। इस प्रसाद को सभी लोग बड़े ही श्रद्धा के साथ ग्रहण करते हैं। छठ पूजा का यह अनोखा पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह हमारे समाज को एकजुट रखने का भी एक साधन है। इस पर्व में सामूहिकता, श्रद्धा और आस्था का संगम देखने को मिलता है, जो समाज को एकजुटता का संदेश देता है।
छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जो हमें प्रकृति और उसके तत्वों के प्रति आस्था और सम्मान का पाठ सिखाता है। यह पर्व जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य और समाजिक एकता का संदेश देता है।
**छठ पूजा** उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मइया की पूजा के लिए समर्पित है। यह पूजा विशेष रूप से चार दिन की होती है और व्रति (व्रत करने वाले) सूर्य देवता और छठी मइया से स्वास्थ्य, समृद्धि, और खुशहाली की कामना करते हैं।
पूजा मेंअक्सर पूछे जाने वाले सवाल) दिए गए हैं:
### 1. **छठ पूजा कब मनाई जाती है?**
छठ पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चौथी से सातवीं तिथि तक मनाई जाती है। यह आम तौर पर अक्टूबर और नवम्बर के बीच होती है।
### 2. **छठ पूजा के मुख्य दिन कौन से होते हैं?**
छठ पूजा चार दिनों तक चलती है:
- **पहला दिन**: नहाय-खाय (व्रति अपने शरीर को शुद्ध करते हैं और पवित्र भोजन करते हैं।)
- **दूसरा दिन**: खट्टी (व्रति एक दिन का उपवासी रहते हैं और सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी या तालाब के किनारे जाते हैं।)
- **तीसरा दिन**: संतान (इस दिन भी उपवासी रहते हैं और संतान सुख की कामना करते हुए छठी मइया को अर्घ्य अर्पित करते हैं।)
- **चौथा दिन**: पारण (इस दिन व्रति उपवासी रहने के बाद भोजन करते हैं और पूजा समाप्त होती है।)
### 3. **छठ पूजा का महत्व क्या है?**
छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता और छठी मइया का आभार प्रकट करना है। यह पूजा स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है। सूर्य देवता जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और उनकी पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
### 4. **छठ पूजा में क्या चीजें अर्पित की जाती हैं?**
- **सूर्य को अर्घ्य** देने के लिए ताजे फल, ठंडा जल, शुद्ध घी, दूध, शकरकंद, ठंडी नदियों या तालाबों में अर्पित किया जाता है।
- **मिट्टी के दीपक** और **सुपारी** भी चढ़ाए जाते हैं।
### 5. **क्या छठ पूजा में व्रत करना अनिवार्य है?**
हां, छठ पूजा में व्रति (उपवासी) होते हैं और यह एक कठिन व्रत है जिसमें 36 घंटे तक कोई भोजन नहीं किया जाता और केवल जल पिया जाता है। व्रति नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
### 6. **क्या महिलाएं और पुरुष दोनों ही छठ पूजा कर सकते हैं?**
हाँ, छठ पूजा में पुरुष और महिलाएं दोनों भाग ले सकते हैं, हालांकि यह पूजा मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है, खासकर वे महिलाएं जो संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
### 7. **छठ पूजा के दौरान क्या नियम होते हैं?**
- **स्वच्छता**: पूजा स्थल और शरीर की शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- **व्रति नियम**: उपवास, नृत्य, और अन्य धार्मिक कर्मों को सही तरीके से किया जाता है।
- **भक्ति भाव**: पूजा में पूरी श्रद्धा और ध्यान रखना होता है।
### 8. **छठ पूजा में किन चीजों का वर्जन किया जाता है?**
- मांसाहार
- शराब
- प्याज और लहसुन
- तामसिक भोजन
### 9. **क्या छठ पूजा घर में की जा सकती है या केवल नदी/तालाब में?**
हालांकि यह पूजा मुख्य रूप से नदी या तालाब के किनारे की जाती है, लेकिन यदि किसी कारणवश बाहर नहीं जा सकते, तो घर में भी सूर्य देवता की पूजा और अर्घ्य दिया जा सकता है।
### 10. **छठ पूजा में कौन सी विशेष पूजा विधि होती है?**
- सूर्य को अर्घ्य देने के लिए विशेष रूप से "अर्घ्य" की पूजा की जाती है। इसमें पत्तियों से बने सुपारी के पत्ते, बांस की टोकरी, फल, और शकरकंद अर्पित किए जाते हैं।
- पूजा के समय भजन, गीत, और संतान सुख की प्रार्थना की जाती है।
यह पूजा ना केवल आध्यात्मिक होती है, बल्कि यह परिवार के एकजुटता और संस्कृतियों के सम्मान का प्रतीक भी है।