दिवाली 2024 (diwali 2024)

  दिवाली: एक प्रकाश पर्व


दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दिवाली का अर्थ है "दीपों की पंक्ति" और यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। इस लेख में हम दिवाली के महत्व, इसकी परंपराओं, और इसे मनाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।



दीपावली या दिवाली 2024, 31 अक्टूबर 2024 (deepawali 2024 date in india) को है।


दिवाली का ऐतिहासिक महत्व


दिवाली का त्योहार विभिन्न धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म में इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण का वध किया था। इसी दिन माता सीता और भगवान लक्ष्मण भी राम के साथ लौटे थे। इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। 


इसके अलावा, जैन धर्म में इस दिन भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्त करने का उत्सव मनाया जाता है। सिख धर्म में, इस दिन गुरु हर गोबिंद जी ने कालापानी से मुक्त होने का उत्सव मनाया। 


दिवाली क्यू मनाई जाती है 


दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। दीवाली का पर्व कई कारणों से मनाया जाता है, जिनमें प्रमुख हैं:


1. **रामायण की कहानी**: इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण का वध करके सीता को मुक्त किया था। इस अवसर पर अयोध्यावासियों ने घरों को दीपों से सजाया था।


2. **लक्ष्मी पूजा**: इस दिन माता लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी, की पूजा की जाती है। लोग इस दिन अपने घरों की सफाई करते हैं और नए सामान खरीदते हैं ताकि लक्ष्मी जी उनके घर आएं।


3. **खुशियों और भाईचारे का उत्सव**: दीवाली परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाने का समय है। लोग मिठाइयाँ बाँटते हैं, पटाखे जलाते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं।


4. **कृषि से संबंधित**: कुछ क्षेत्रों में दीवाली का त्यौहार फसल कटाई के बाद मनाया जाता है, जो नई फसल के स्वागत का प्रतीक होता है।


इस तरह, दीवाली न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।


दिवाली की तैयारी


दिवाली के पर्व की तैयारी कई दिनों पहले शुरू होती है। घरों की सफाई, रंगोली बनाना, दीयों और मोमबत्तियों की खरीदारी करना, मिठाइयाँ बनाना और खरीदना, ये सब दिवाली की तैयारियों का हिस्सा होते हैं। लोग अपने घरों को सजाते हैं, जिससे उनका घर खुशियों और समृद्धि से भर जाए।


सफाई और सजावट


दिवाली से पहले, लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी का आगमन होता है। माना जाता है कि स्वच्छ और सुंदर घर में मां लक्ष्मी निवास करती हैं। घर के कोनों में रंगोली बनाई जाती है, जो एक प्रकार की सजावट होती है। रंग-बिरंगे रंगों से बनाई गई यह कला, घर को सुंदर और आकर्षक बनाती है।


दीयों और मोमबत्तियों की खरीदारी



दीपावली का मुख्य आकर्षण दीये हैं। मिट्टी के दीये, मोमबत्तियाँ, और LED लाइट्स से घरों को सजाया जाता है। लोग अपने घरों के बगीचों, छतों और दरवाजों पर दीये रखते हैं, जिससे चारों ओर रोशनी फैल जाती है।


पूजा का महत्व


दिवाली के दिन विशेष पूजा की जाती है। इस दिन लोग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। घर में लक्ष्मी पूजन का आयोजन होता है, जिसमें देवी को मिठाई, फल, और फूल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद, प्रसाद बांटा जाता है, जिससे सभी लोग मिलकर खुशियाँ मनाते हैं।


पटाखों का खेल


दिवाली के दिन पटाखे चलाने की परंपरा भी है। बच्चे और बड़े सभी मिलकर पटाखे चलाते हैं। यह उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन हमें पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इसे सावधानी से करना चाहिए। 


मिठाईयों का आदान-प्रदान


दिवाली पर मिठाईयों का विशेष महत्व है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ भेंट करते हैं, जैसे कि लड्डू, बर्फी, और जमुन। यह आदान-प्रदान रिश्तों को और मजबूत बनाता है और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है।


दिवाली का संदेश


दिवाली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है। यह हमें अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का, बुराई पर अच्छाई की विजय का, और एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश देता है। 


परिवार और मित्रों का साथ


दिवाली का पर्व परिवार और मित्रों के साथ मनाने का अवसर प्रदान करता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएँ देते हैं, मिठाई बाँटते हैं, और मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। इस प्रकार, यह त्योहार सभी के बीच एकता और प्रेम का संचार करता है।


पर्यावरण का ध्यान


हाल के वर्षों में, दिवाली के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाने लगा है। पटाखों के धुएँ और प्रदूषण के कारण कई स्थानों पर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इसलिए, हमें दीयों और प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करके एक स्वच्छ और हरा दिवाली मनाने का प्रयास करना चाहिए।


 निष्कर्ष


दिवाली केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा पर्व है जो हमें खुशियों, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। इस दिन हम अपने घरों को रोशनी से भरते हैं, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि असली रोशनी हमारे अंदर होती है। आइए, इस दिवाली को हम सब मिलकर एक नई रोशनी के साथ मनाएँ, जो न केवल हमारे लिए, बल्कि हमारे समाज और पर्यावरण के लिए भी उजाला लाए।


दिवाली की शुभकामनाएँ!

National festival

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